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पीएम का चुनावी शो शुरू, सियासत में उठापटक, सीटों का समीकरण फिर से गूंजा।

Editor : Anjali Mishra | 29 May, 2025

PM का पटना आगमन अब सियासत की रफ्तार तय होगी।

पीएम का चुनावी शो शुरू, सियासत में उठापटक, सीटों का समीकरण फिर से गूंजा।

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बिहार की फिज़ाओं में कुछ बदल रहा है… न तारीख़ का ऐलान हुआ, न चुनावी शंखनाद, लेकिन सियासत की धड़कनें तेज़ हो चुकी हैं। 29 मई को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना की सरज़मीं पर उतरेंगे, तो सिर्फ एयरपोर्ट का टर्मिनल नहीं खुलेगा,बल्कि चुनावी चालों का एक नया चैप्टर भी शुरू होगा। मंच सज चुके हैं, नारों की गूंज तैयार है, पर असली सवाल यही है-क्या ये दौरा सिर्फ विकास की बात करेगा, या पर्दे के पीछे सीटों और समीकरणों की नई पटकथा लिखी जा रही है? बिहार का मैदान गरम है, और कहानी अभी बाकी है।


बिहार में चढ़ रहा सियासी तापमान, पीएम मोदी के दौरे से चुनावी बिगुल बज चुकी हैबिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ है, लेकिन राज्य की सियासत में हलचल तेज़ हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 और 30 मई को दो दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंचने वाले हैं। यह दौरा केवल योजनाओं के उद्घाटन तक सीमित नहीं, बल्कि चुनावी समीकरणों को साधने का एक बड़ा मंच भी बनता दिख रहा है। एनडीए के बड़े चेहरे के तौर पर पीएम मोदी की यह मौजूदगी जमीनी रणनीति और गठबंधन की स्थिति को स्पष्ट करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

सूत्रों की मानें तो बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों ने सीटों को लेकर अपनी मांगें बीजेपी और जेडीयू को पहले ही भेज दी हैं। हालांकि, बीजेपी फिलहाल सीट बंटवारे को लेकर किसी जल्दबाज़ी के मूड में नहीं है। पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि टिकट वितरण का आधार सिर्फ “विजय की संभावना” होगा, न कि व्यक्ति विशेष की सियासी हैसियत। सभी 243 विधानसभा सीटों पर सर्वे हो चुका है और जिन विधायकों का प्रदर्शन खराब रहा है, उनके टिकट काटे जा सकते हैं।

बीजेपी ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां जमीनी स्तर पर शुरू कर दी हैं। ब्लॉक स्तर पर बैठकों का सिलसिला चल रहा है, जहां हर सीट की ताकत और कमजोरी का आकलन किया जा रहा है। विपक्षी नेताओं का भी गहराई से विश्लेषण हो रहा है। पार्टी की रणनीति है कि सबसे अंत में सीटों का बंटवारा किया जाए, ताकि गठबंधन के भीतर तालमेल और संतुलन बेहतर तरीके से साधा जा सके।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को शाम 5 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचेंगे। वे यहां नए टर्मिनल का उद्घाटन और बिहटा एयरपोर्ट का शिलान्यास करेंगे। इसके बाद पीएम मोदी का भव्य रोड शो होगा जो शेखपुरा मोड़ से इनकम टैक्स गोलंबर होते हुए बीजेपी कार्यालय तक जाएगा। इस दौरान 32 जगहों पर मंच बनाकर विभिन्न एनजीओ और विधानसभा क्षेत्रों की ओर से पीएम मोदी का स्वागत किया जाएगा।ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी का यह दौरा उनके राष्ट्रवादी नेतृत्व की छवि को और मज़बूती देने वाला माना जा रहा है। पीएम मोदी पटना में रात्रि विश्राम के बाद 30 मई को रोहतास जिले के विक्रमगंज पहुंचेंगे, जहां वे सुबह 10 बजे एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इस जनसभा में बिहार को कई विकास परियोजनाओं की सौगात मिलने की उम्मीद है।हालांकि, पीएम मोदी के दौरे पर विपक्ष हमलावर है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पीएम एक ओर प्रचार में जुटे हैं, जबकि देश गंभीर संकटों से जूझ रहा है। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष को कोसने वाले पीएम को आज उन्हीं विपक्षी नेताओं की मदद लेनी पड़ रही है विदेशों में भारत की छवि को सुधारने के लिए।


कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रमेश राम ने भी प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी जी सिर्फ घोषणाएं करते हैं, वादों को निभाते नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब समझ चुकी है कि चुनाव के वक्त दिखावा और वादों की बौछार करना इस सरकार की आदत बन चुकी है।

वहीं दूसरी ओर, जेडीयू और एनडीए के नेता पीएम मोदी के इस दौरे को "एक पंथ दो काज" की संज्ञा दे रहे हैं। मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पीएम जब भी बिहार आते हैं, राज्य को सौगातें मिलती हैं। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तो पीएम मोदी की जनसभा को “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा कि जनता और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है। कुल मिलाकर, बिहार में अब सियासी पारा चढ़ चुका है, और पीएम का यह दौरा चुनावी जमीन को गर्म करने वाला साबित हो सकता है।पीएम मोदी के दौरे को लेकर बीजेपी ने एक अलग ही स्तर पर तैयारी की है। हर जिले में कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, ताकि जनसभा में भारी भीड़ जुटाई जा सके और पार्टी की ताकत का प्रदर्शन हो सके। रोड शो के रास्ते में स्वागत मंचों पर पारंपरिक लोक कलाओं, पोस्टरों और फूल-मालाओं से प्रधानमंत्री का स्वागत होगा। बीजेपी इसे एक जनजागरण अभियान की तरह देख रही है, जिसका सीधा असर आने वाले चुनावी माहौल पर पड़ेगा।

बीजेपी नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी का यह दौरा सिर्फ चुनावी नहीं बल्कि विकासोन्मुखी है। पार्टी का दावा है कि बिहटा एयरपोर्ट और पटना एयरपोर्ट टर्मिनल जैसे प्रोजेक्ट्स बिहार के इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई ऊंचाई देंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री के हाथों जिन योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन हो रहा है, वे शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाएंगी। पार्टी इन्हें विकास की ‘डबल इंजन सरकार’ का प्रमाण मान रही है।


हालांकि, सियासत के गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर अभी भी कई परदे के पीछे की खींचतान जारी है। छोटे दल अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि बीजेपी सर्वे रिपोर्ट और जीतने की संभावना को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। जेडीयू की ओर से भी संकेत मिल रहे हैं कि वह सम्मानजनक सीटों की मांग पर कायम रहेगी, जिससे यह तय है कि आने वाले दिनों में एनडीए के भीतर सीट तालमेल एक अहम मुद्दा बनने वाला है।पीएम मोदी के इस दौरे से पहले ही जेडीयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार और केंद्रीय नेतृत्व के बीच समन्वय बैठकों की खबरें आ चुकी हैं। यह भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का दौरा जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में ‘साफ और सकारात्मक संकेत’ देने का प्रयास भी है। नीतीश कुमार खुद इन परियोजनाओं को अपनी सरकार की उपलब्धियों के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि फिलहाल एनडीए में एकजुटता बनी हुई है।


बहरहाल, प्रधानमंत्री का यह दौरा बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। बीजेपी जहां इसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में देख रही है, वहीं विपक्ष इसे ‘चुनावी स्टंट’ करार दे रहा है। अगले कुछ हफ्तों में राज्य की राजनीति में और तेजी से बदलाव देखने को मिल सकते हैं, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि बिहार का सियासी तापमान चढ़ चुका है, और आने वाले चुनाव दिलचस्प मोड़ लेने वाले हैं।बिहार की राजनीति अब निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा न सिर्फ विकास परियोजनाओं की घोषणा का मंच है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति का ट्रेलर भी बन चुका है। एनडीए की सक्रियता, बीजेपी की जमीनी पकड़ और विपक्ष की आक्रामकता तीनों ने मिलकर राज्य में सियासी मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना दिया है। सीट बंटवारे की पेचीदगियों से लेकर जनसभाओं की गूंज तक, हर गतिविधि अब सीधे चुनावी नतीजों पर असर डालेगी। बिहार में अब सिर्फ तारीखों का इंतज़ार है।बदलते समीकरणों की कहानी तो शुरू हो चुकी है।