उपचुनाव : 5 में से 2 सीटों पर AAP को मिली जीत, कांग्रेस, टीएमसी और बीजेपी ने एक-एक सीट जीती
Editor : Shubham awasthi | 23 June, 2025
23 जून, 2025 को देश के चार राज्यों—गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल—की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित किए गए। इन उपचुनावों ने न केवल स्थानीय स्तर पर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया

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चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे सोमवार को घोषित हुए। गुजरात की कड़ी सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, जबकि विसावदर सीट आम आदमी पार्टी (AAP) के खाते में गई। केरल की नीलांबूर सीट पर यूडीएफ (UDF) को सफलता मिली। पश्चिम बंगाल के कलिगंज में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने बड़ी जीत हासिल की। पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर भी आम आदमी पार्टी (AAP) को जीत मिली।
इन उपचुनावों ने न केवल स्थानीय स्तर पर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी विभिन्न दलों की स्थिति को उजागर किया। गुजरात की कड़ी सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जीत हासिल की, जबकि विसावदर सीट आम आदमी पार्टी (आप) के खाते में गई। केरल की नीलांबूर सीट पर यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने कब्जा जमाया। पश्चिम बंगाल की कालिगंज सीट पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शानदार प्रदर्शन किया, और पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर भी आप ने जीत का परचम लहराया।
उपचुनाव विभिन्न कारणों से आयोजित किए गए, जिनमें विधायकों का निधन, इस्तीफा, या अयोग्यता शामिल है। इन पांच सीटों पर हुए उपचुनाव न केवल स्थानीय मुद्दों, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण थे। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ये उपचुनाव सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के लिए अपनी ताकत और जनता की नब्ज को परखने का एक अवसर थे।
गुजरात: कड़ी और विसावदर सीटों पर उपचुनाव बीजेपी और आप के बीच एक कड़ा मुकाबला था। गुजरात में बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन आप ने हाल के वर्षों में अपनी पैठ बढ़ाई है।केरल: नीलांबूर सीट पर यूडीएफ और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के बीच प्रतिस्पर्धा थी। यह सीट 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले दोनों गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण थी।
पंजाब: लुधियाना वेस्ट सीट पर आप की साख दांव पर थी, क्योंकि यह राज्य में उसकी सरकार के प्रदर्शन का एक लिटमस टेस्ट था।
पश्चिम बंगाल: कालिगंज सीट पर टीएमसी का दबदबा रहा, लेकिन बीजेपी ने इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश की।
इन उपचुनावों में मतदान 20 जून, 2025 को हुआ, और मतगणना 23 जून को सुबह 8 बजे शुरू हुई। परिणामों ने विभिन्न दलों के लिए मिश्रित संदेश दिए, जो आगे की रणनीतियों को प्रभावित करेंगे।गुजरात: कड़ी और विसावदर
कड़ी: बीजेपी के राजेंद्र चावड़ा ने इस सीट पर जीत हासिल की। कड़ी सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, और इस जीत ने पार्टी की मजबूत संगठनात्मक क्षमता को फिर से साबित किया।
विसावदर: आप के गोपाल इटालिया ने बीजेपी के कीर्ति पटेल को 17,554 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत आप के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि विसावदर में बीजेपी का मजबूत आधार रहा है। गोपाल इटालिया की जीत ने आप को गुजरात में एक उभरती ताकत के रूप में स्थापित किया।
केरल: नीलांबूर
यूडीएफ के आर्यदान शौकत ने इस सीट पर जीत दर्ज की। यह जीत यूडीएफ के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले गठबंधन की ताकत को दर्शाती है। नीलांबूर में कांग्रेस का मजबूत आधार रहा है, और इस जीत ने एलडीएफ को एक झटका दिया।
पंजाब: लुधियाना वेस्ट
आप के संजीव अरोड़ा ने इस सीट पर जीत हासिल की। लुधियाना वेस्ट एक शहरी सीट है, और आप की जीत ने पार्टी की शहरी क्षेत्रों में बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाया। यह जीत आप सरकार के लिए एक सकारात्मक संदेश है, जो पंजाब में अपनी साख बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
गुजरात में बीजेपी और आप के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। कड़ी सीट पर बीजेपी की जीत का श्रेय पार्टी की मजबूत संगठनात्मक संरचना और स्थानीय नेताओं की मेहनत को जाता है। बीजेपी ने इस सीट पर विकास और स्थिरता के मुद्दे को केंद्र में रखा, जिसने मतदाताओं को आकर्षित किया।
विसावदर में आप की जीत गोपाल इटालिया के व्यक्तिगत करिश्मे और पार्टी की आक्रामक रणनीति का परिणाम थी। इटालिया ने स्थानीय मुद्दों, जैसे किसानों की समस्याओं और बुनियादी ढांचे की कमी, को प्रभावी ढंग से उठाया। आप ने बीजेपी पर भ्रष्टाचार और जनता से दूरी का आरोप लगाकर मतदाताओं का ध्यान खींचा। यह जीत आप के लिए एक मनोवैज्ञानिक बढ़त है, क्योंकि गुजरात बीजेपी का गढ़ रहा है।
2. केरल: यूडीएफ की वापसी
नीलांबूर में यूडीएफ की जीत कांग्रेस के मजबूत स्थानीय आधार और आर्यदान शौकत की लोकप्रियता का परिणाम थी। यूडीएफ ने एलडीएफ सरकार की कथित विफलताओं, जैसे बेरोजगारी और बाढ़ प्रबंधन में कमियों, को मुद्दा बनाया। यह जीत यूडीएफ के लिए 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा प्रोत्साहन है।
एलडीएफ इस सीट को बचाने में असफल रही, क्योंकि पार्टी का अभियान कमजोर रहा। स्थानीय स्तर पर असंतोष और गठबंधन के भीतर समन्वय की कमी ने एलडीएफ को नुकसान पहुंचाया।
3. पंजाब: आप की शहरी ताकत
लुधियाना वेस्ट में आप की जीत पार्टी की शहरी क्षेत्रों में बढ़ती पैठ को दर्शाती है। संजीव अरोड़ा ने स्थानीय मुद्दों, जैसे सड़कों की स्थिति, स्वच्छता, और बिजली आपूर्ति, को प्रभावी ढंग से उठाया। आप सरकार के मुफ्त बिजली और शिक्षा सुधार जैसे कदमों ने मतदाताओं को प्रभावित किया।
कांग्रेस इस सीट पर कमजोर प्रदर्शन रही, क्योंकि पार्टी के भीतर गुटबाजी और कमजोर संगठन ने उसे नुकसान पहुंचाया। बीजेपी भी इस सीट पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई, जो पंजाब में उसकी घटती लोकप्रियता को दर्शाता है।
4. पश्चिम बंगाल: टीएमसी का जलवा
कालिगंज में टीएमसी की जीत ममता बनर्जी के नेतृत्व और पार्टी की मजबूत जमीनी उपस्थिति का परिणाम थी। अलिफा अहमद ने स्थानीय मुद्दों और टीएमसी की कल्याणकारी योजनाओं, जैसे लक्ष्मीर भंडार और कन्याश्री, को प्रभावी ढंग से प्रचारित किया
इन उपचुनावों के नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर होगा।। आप की दो सीटों (विसावदर और लुधियाना वेस्ट) पर जीत ने दर्शाया कि पार्टी अब केवल दिल्ली और पंजाब तक सीमित नहीं है।। गुजरात में बीजेपी के गढ़ में आप की सेंधमारी ने इसे एक उभरते हुए राष्ट्रीय विकल्प के रूप में पेश किया।। यह जीत आप को अन्य राज्यों, जैसे हरियाणा और उत्तर प्रदेश, में विस्तार के लिए प्रोत्साहित करेगी