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OIC का मंच, पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा लेकिन भारत की गूंज सबसे साफ

Editor : Anjali Mishra | 24 June, 2025

भारत ने फिर दिखाया शब्द नहीं, सच्चाई की मार ज़्यादा भारी होती है,संप्रभुता पर न कोई समझौता, न आतंक पर कोई चुप्पी!जब सच बोले भारत, तो झूठ की दीवारें हिलती हैं|

OIC का मंच, पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा लेकिन भारत की गूंज सबसे साफ

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तुर्की की एक भरी-पूरी अंतरराष्ट्रीय बैठक में भारत के खिलाफ फिर उगला गया ज़हर... लेकिन इस बार भारत चुप नहीं रहा। जब OIC मंच से पाकिस्तान ने फैलाया झूठ का जाल, तो भारत ने दुनिया के सामने खोल दी उसकी पोल सिर्फ शब्दों से नहीं, तथ्यों की तलवार से! क्या है इस सियासी तकरार की असली कहानी? और क्यों OIC की चुप्पी बन गई आतंक के खिलाफ जंग में सबसे बड़ा सवाल? तो चलिए आपको बताते हैं वो तीखा जवाब जिसने भारत की विदेश नीति को फिर मज़बूती से खड़ा कर दिया। 


इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के खिलाफ जो तीखी और बेबुनियाद टिप्पणियां की गईं, उन पर भारत ने करारा पलटवार किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि यह "अनुचित, तथ्यहीन और पाकिस्तान प्रेरित" बयान हैं, जिनका उद्देश्य केवल OIC मंच का राजनीतिक दुरुपयोग करना है। भारत ने तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि OIC को भारत के आंतरिक मामलों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। भारत ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और संप्रभु हिस्सा है, जिसे भारतीय संविधान में पूरी तरह मान्यता प्राप्त है। OIC की 21-22 जून को हुई बैठक में 147 प्रस्तावों और एक ‘इस्तांबुल डिक्लेरेशन’ को अपनाया गया। इसमें पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपने पुराने आरोपों को दोहराया, जिनमें "अनुचित सैन्य आक्रामकता" और "मानवाधिकार हनन" जैसे आरोप शामिल थे।


भारत ने इन सभी आरोपों को "बेसिर-पैर" और “राजनीतिक चालबाज़ी” करार दिया। भारत ने ओआईसी से सवाल किया कि वह बार-बार पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद की अनदेखी क्यों करता है। हाल ही में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला इसका ताजा उदाहरण है, जहां निर्दोष भारतीय नागरिकों की जान गई। भारत ने कहा कि OIC की इस चुप्पी ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ बनी अंतरराष्ट्रीय सहमति की गरिमा को चोट पहुंचाई है।विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर भी सीधा हमला बोला और कहा कि इस्लामाबाद आतंकवाद को न केवल बढ़ावा देता है, बल्कि उसे अपनी ‘राजनयिक नीति’ का हिस्सा बना चुका है। भारत ने OIC को चेताया कि अगर वह पाकिस्तान के झूठे प्रचार के जाल में फंसा रहा, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय साख और प्रासंगिकता को गंभीर नुकसान होगा।भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान की ओर से लगाए गए सैन्य आक्रामकता के आरोपों को भी बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया।


विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की गई थी, और इसका उद्देश्य केवल पाकिस्तान की सरजमीं से संचालित हो रहे आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाना था। पाकिस्तान की कथित ‘जवाबी कार्रवाई’ पर भारत ने तंज कसते हुए कहा कि यह न केवल असफल रही, बल्कि उसने जानबूझकर नागरिक आबादी को निशाना बनाया, जिससे कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। भारत ने इसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन बताया।भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को मानवाधिकारों पर उपदेश देने से पहले खुद के गिरेबान में झांकना चाहिए। जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों का लगातार हनन होता है और आतंकवादियों को खुलेआम पनाह दी जाती है, वहां से भारत को नसीहत मिलना न केवल विडंबनापूर्ण है बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी।भारत ने एक बार फिर दोहराया कि OIC को पाकिस्तान जैसे देशों के बहकावे में आकर अपनी भूमिका को कमजोर नहीं करना चाहिए। भारत ने कहा कि यदि OIC वास्तव में मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज बनने का दावा करता है, तो उसे निष्पक्ष रहकर वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहिए न कि एक आतंक-प्रायोजक देश के साथ।


 गौरतलब है कि OIC, 1969 में स्थापित 57 सदस्य देशों का संगठन है, जिसमें 48 मुस्लिम बहुल देश शामिल हैं। यह खुद को मुस्लिम दुनिया की आवाज बताता है, लेकिन भारत ने बार-बार इस मंच पर पाकिस्तान के झूठे और पक्षपाती प्रस्तावों को नकारा है और चेताया है कि वह किसी के राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल न हो।भारत ने तुर्की में हुई OIC बैठक में पाकिस्तान द्वारा किए गए भारत विरोधी प्रयासों का तीखा और तार्किक जवाब देकर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। OIC को भी यह समझना होगा कि अगर वह पाकिस्तान जैसे देशों की कठपुतली बनकर रहेगा, तो उसकी वैश्विक साख और उद्देश्य दोनों ही संदेह के घेरे में आ जाएंगे। भारत न आतंकवाद बर्दाश्त करेगा, न प्रोपेगेंडा—और यही उसकी नीति का मूल है।