मायावती ने आकाश आनंद को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी: बसपा में धमाकेदार वापसी
Editor : Shubham awasthi | 18 May, 2025
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है। आकाश आनंद को पार्टी का मुख्य नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया गया है। लंबे समय से पार्टी की अंदरूनी कलह के शिकार बने आकाश आनंद की पार्टी में बीते दिनों वापसी हुई थी।

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भारत की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का महत्व हमेशा से रहा है, और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरी है। बसपा की स्थापना कांशीराम द्वारा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान के लिए की गई थी, और इस पार्टी ने समय-समय पर अपनी रणनीति और नेतृत्व शैली में बदलाव किए हैं। हाल ही में, बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंपकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आकाश आनंद को पार्टी का मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है, जिसे उनकी पार्टी में धमाकेदार वापसी के रूप में देखा जा रहा है। यह निर्णय रविवार को दिल्ली में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसने बसपा के भविष्य और आकाश आनंद की भूमिका को लेकर कई सवाल और संभावनाएं खड़ी कर दी हैं।
आकाश आनंद का राजनीतिक सफर: उतार-चढ़ाव भरा रहा
आकाश आनंद, मायावती के भतीजे और उनके परिवार के एक महत्वपूर्ण सदस्य, ने बसपा में अपनी शुरुआत एक युवा और ऊर्जावान नेता के रूप में की थी। उनकी पढ़ाई-लिखाई विदेश में हुई, और उन्होंने आधुनिक शिक्षा और प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल की। उनकी यह पृष्ठभूमि उन्हें एक नई पीढ़ी का नेता बनाती है, जो डिजिटल युग और सोशल मीडिया के माध्यम से युवा वोटरों से जुड़ने में सक्षम है। आकाश को 2017 में बसपा में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था, और जल्द ही उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। मायावती ने उन्हें 2019 में नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया, जिसने उनकी स्थिति को और मजबूत किया।
हालांकि, आकाश का सफर हमेशा सहज नहीं रहा। 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान, मायावती ने अचानक उन्हें सभी पदों से हटा दिया था। इस निर्णय के पीछे आकाश की अनुशासनहीनता और जल्दबाजी में फैसले लेने की प्रवृत्ति को कारण बताया गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और एक्स पोस्ट्स के अनुसार, आकाश ने एक रैली में बीजेपी सरकार की तुलना तालिबान से की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज हुई। इस घटना को उनके हटाए जाने का एक प्रमुख कारण माना गया। इसके अलावा, कुछ विश्लेषकों का मानना था कि आकाश की आक्रामक शैली और उनके भाषणों में तीखापन मायावती की रणनीति से मेल नहीं खा रहा था।
आकाश को हटाए जाने के बाद बसपा के भीतर और बाहर कई तरह की अटकलें लगाई गईं। कुछ ने इसे मायावती की रणनीति का हिस्सा माना, तो कुछ ने इसे पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह का नतीजा बताया। इस दौरान, मायावती ने यह भी स्पष्ट किया कि वह जीते-जी किसी को अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी, जिसने आकाश की स्थिति को और अस्पष्ट कर दिया।
धमाकेदार वापसी: मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी
लंबे समय तक पार्टी से बाहर रहने के बाद, आकाश आनंद की वापसी ने सभी को चौंका दिया। रविवार को दिल्ली में हुई बसपा की उच्च-स्तरीय बैठक में मायावती ने आकाश को मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त करने की घोषणा की। यह पद पार्टी में नंबर-2 की स्थिति माना जाता है, जिसका मतलब है कि मायावती के बाद अब आकाश पार्टी के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में से एक होंगे। इस निर्णय के साथ ही, मायावती ने यह भी संदेश दिया कि आकाश को पार्टी में उनकी पुरानी प्रतिष्ठा और प्रभाव वापस मिल गया है।
मायावती ने इस बैठक में आकाश को कुछ महत्वपूर्ण सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि आकाश को अब और अधिक परिपक्वता के साथ काम करना होगा और पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों का पालन करना होगा। यह सलाह इस बात का संकेत है कि मायावती चाहती हैं कि आकाश अपनी पिछली गलतियों से सबक लें और पार्टी को एकजुट रखने में योगदान दें। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि तीन अन्य नेशनल कोऑर्डिनेटर अब आकाश को रिपोर्ट करेंगे, जो उनकी स्थिति को और मजबूत करता है।
आकाश की इस नई जिम्मेदारी में चुनाव प्रचार और संगठनात्मक कार्यों की समीक्षा शामिल होगी। खास तौर पर, आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। मायावती का यह फैसला बसपा को नई ऊर्जा देने और युवा नेतृत्व को सामने लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
आकाश आनंद के सामने चुनौतियां
आकाश आनंद के लिए यह जिम्मेदारी एक सुनहरा अवसर होने के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती भी है। सबसे बड़ी चुनौती होगी पार्टी को एकजुट रखना और मायावती की रणनीति के अनुरूप काम करना। उनकी पिछली गलतियों, जैसे आक्रामक भाषण और जल्दबाजी में लिए गए फैसलों, को दोहराने से बचना होगा। इसके अलावा, उन्हें बसपा के पारंपरिक वोट बैंक—दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों—के साथ-साथ युवा और शहरी वोटरों को भी आकर्षित करना होगा।
दूसरी चुनौती होगी आगामी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन। बिहार और उत्तर प्रदेश में बसपा को बीजेपी, सपा, और कांग्रेस जैसे मजबूत दलों से मुकाबला करना होगा। आकाश को न केवल प्रचार में सक्रिय भूमिका निभानी होगी, बल्कि संगठन को मजबूत करने और नए गठबंधनों की संभावनाओं पर भी काम करना होगा।
मायावती की रणनीति और बसपा का भविष्य
मायावती का यह फैसला उनकी लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वह न केवल पार्टी को नई ऊर्जा देना चाहती हैं, बल्कि अपनी विरासत को भी सुरक्षित करना चाहती हैं। आकाश को मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर, उन्होंने यह संदेश दिया है कि वह भविष्य में पार्टी की कमान अपने परिवार के किसी सदस्य को सौंपना चाहती हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि मायावती अभी भी पार्टी की सर्वोच्च नेता बनी रहेंगी, और आकाश को उनकी देखरेख में ही काम करना होगा।