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"घर-घर सिंदूर अभियान" भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में भिड़े !

Editor : Shubham awasthi | 31 May, 2025

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच एक नया विवाद सामने आया है, जिसने भारतीय राजनीति के परिदृश्य में तीखी बहस को जन्म दिया है।

"घर-घर सिंदूर अभियान" भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में भिड़े !

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यह विवाद बीजेपी के कथित "घर-घर सिंदूर अभियान" को लेकर शुरू हुआ, जिसे दैनिक भास्कर जैसे कुछ मीडिया हाउसेज ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। हालांकि, बीजेपी ने इस खबर को पूरी तरह से असत्य और छलपूर्ण करार देते हुए इसे फर्जी खबर (फेक न्यूज) बताया। दूसरी ओर, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला, इसे "सिंदूर की ताकत" करार देते हुए बीजेपी को झूठा और ढोंगी बताया यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बीजेपी 9 जून, 2025 से एक "घर-घर सिंदूर अभियान" शुरू करने जा रही है। इस अभियान के तहत कथित तौर पर बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर जाकर विवाहित महिलाओं को सिंदूर बांटने वाले थे। सिंदूर, जो हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए पवित्र और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, को इस अभियान का केंद्र बनाए जाने की खबर ने तुरंत ही विवाद को जन्म दिया।


सिंदूर का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। यह न केवल विवाहित महिलाओं की पहचान का प्रतीक है, बल्कि इसे सौभाग्य और पति की लंबी आयु से भी जोड़ा जाता है। बीजेपी के कथित अभियान को लेकर उठा विवाद इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। कई आलोचकों का मानना है कि यदि यह अभियान वास्तव में बीजेपी की योजना थी, तो यह धार्मिक भावनाओं को भुनाने और हिंदू वोटरों को लुभाने की एक रणनीति हो सकती थी। दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि यह खबर पूरी तरह से फर्जी थी और इसका उद्देश्य पार्टी की छवि को धूमिल करना था। इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल उठाया कि क्या राजनीतिक दल सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग करके समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, या क्या यह विपक्ष द्वारा फैलाया गया एक दुष्प्रचार था?



"घर-घर सिंदूर अभियान" को लेकर उठा विवाद भारतीय राजनीति में फेक न्यूज, धार्मिक भावनाओं के दुरुपयोग, और राजनीतिक ध्रुवीकरण की जटिलताओं को उजागर करता है। बीजेपी ने इस अभियान की खबर को फर्जी बताकर अपनी स्थिति स्पष्ट की, लेकिन कांग्रेस ने इसे एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला। इस पूरे प्रकरण ने यह दिखाया कि कैसे सांस्कृतिक प्रतीकों को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।


बीजेपी ने यह तो नहीं कहा है कि यह ख़बर कहाँ से फैली, लेकिन इसने दैनिक भास्कर की ख़बर का एक स्क्रीनशॉट साझा किया है जो 28 मई को छपी थी। इस ख़बर में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा गया था कि पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 9 जून को शपथ ली थी इसलिए इसी दिन से बीजेपी 'घर-घर सिंदूर पहुँचाने' का अभियान शुरू करेगी।

'घर-घर सिंदूर' अभियान की ख़बरें पहली बार दैनिक भास्कर जैसे कुछ प्रमुख समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर सामने आई थीं। दावा था कि बीजेपी ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत कार्रवाई को प्रचारित करने के लिए इस अभियान की योजना बनाई है। भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमलों के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इस अभियान को कथित तौर पर हिंदू संस्कृति के प्रतीक सिंदूर से जोड़ा गया, जिसे बीजेपी द्वारा प्रचारित किए जाने की बात कही गई।

दो दिन तक इन ख़बरों के चलने के बाद बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर इसे फर्जी करार दिया। अमित मालवीय ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दैनिक भास्कर में छपी यह खबर 'पूर्णतः असत्य और छलपूर्वक प्रेरित' है, और बीजेपी ने कभी भी 'घर-घर सिंदूर' जैसा कोई अभियान शुरू करने की योजना नहीं बनाई। बीजेपी के आधिकारिक हैंडल ने भी यही बात दोहराई और इसे विपक्ष द्वारा प्रायोजित फेक न्यूज का हिस्सा बताया।