बिहार बुलाए, चिराग आए: विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान
Editor : Shubham awasthi | 23 May, 2025
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपनी महत्वाकांक्षी दृष्टि और बिहार के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करते हुए एक बड़ा बयान दिया है

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चिराग पासवान ने कहा, "बिहार मुझे पुकार रहा है. बिहार मेरी हमेशा से प्राथमिकता रही है. अगर पार्टी कहेगी तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहूंगा. मेरा यह तीसरा कार्यकाल है बतौर सांसद, लेकिन अब लगता है कि मुझे बिहार में ही रहकर काम करना चाहिए. मेरा सपना है कि बिहारी युवाओं को अपना प्रदेश छोड़कर बाहर ना जाना पड़े. मेरी पार्टी और मैंने यह इच्छा जताई है कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता हूं." यह बयान न केवल उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि बिहार के प्रति उनकी गहरी निष्ठा और विकास के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी उजागर करता है
चिराग पासवान का यह बयान बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लाने की क्षमता रखता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, चिराग का यह कहना कि "बिहार मुझे पुकार रहा है" उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक जुड़ाव को दर्शाता है। यह बयान न केवल उनकी भावनात्मक अपील को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वे बिहार की जनता के बीच अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं। चिराग ने स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य बिहार के युवाओं को रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने से रोकना है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो बिहार की सामाजिक-आर्थिक संरचना के केंद्र में है। बिहार से हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, गुजरात और अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। चिराग का यह सपना कि बिहारी युवाओं को अपने ही राज्य में रोजगार के अवसर मिलें, न केवल महत्वाकांक्षी है, बल्कि यह बिहार की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
चिराग पासवान का राजनीतिक सफर
चिराग पासवान का राजनीतिक सफर उनके पिता, स्वर्गीय रामविलास पासवान की विरासत से शुरू होता है। रामविलास पासवान बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम थे और उन्होंने दशकों तक दलित और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत की। उनकी मृत्यु के बाद चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की कमान संभाली और इसे नए सिरे से संगठित किया। हालांकि, 2020 में पार्टी के विभाजन के बाद, चिराग ने LJP (रामविलास) का गठन किया और इसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ जोड़ा।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने एक साहसिक कदम उठाया था। उन्होंने NDA से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) के खिलाफ तीखा रुख अपनाया। हालांकि, उनकी पार्टी को उस चुनाव में कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन चिराग ने अपनी राजनीतिक उपस्थिति को बनाए रखा। इसके बाद, 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने NDA के हिस्से के रूप में बिहार की पांच सीटों पर जीत हासिल की, जिसने उनकी स्थिति को और मजबूत किया।
चिराग का यह बयान कि वे अब बिहार में रहकर काम करना चाहते हैं, उनके केंद्र की राजनीति से राज्य की राजनीति की ओर वापसी का संकेत है। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, क्योंकि बिहार की जनता ने हमेशा स्थानीय नेतृत्व को प्राथमिकता दी है। उनके इस बयान ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बिहार की जनता के बीच अपनी जड़ें और गहरी करना चाहते हैं
बिहार की राजनीति में चिराग की भूमिका केवल उनकी पार्टी तक सीमित नहीं है। वह युवा मतदाताओं और गैर-यादव, गैर-मुस्लिम दलित वोटों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। उनकी नीतीश विरोधी छवि, जो 2020 में उभरी थी, अभी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभावी है, हालांकि इस बार वह गठबंधन धर्म निभाने की बात कह रहे हैं। एक्स पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि चिराग की जीत और मुख्यमंत्री बनने की संभावना पक्की है, लेकिन ये दावे सत्यापित नहीं हैं। वास्तव में, चिराग की सफलता उनकी रणनीति, एनडीए में सीटों की हिस्सेदारी और मतदाताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता पर निर्भर करेगी।
चुनाव में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जैसे दिग्गजों के बीच चिराग की भूमिका गठबंधन की एकता और सत्ता के समीकरण को प्रभावित कर सकती है। उनकी रणनीति और फैसले बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकते हैं, जिसका असर न केवल एनडीए, बल्कि विपक्षी महागठबंधन पर भी पड़ेगा। कुल मिलाकर, चिराग पासवान बिहार चुनाव में एक गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं, बशर्ते वह अपनी रणनीति को सही दिशा में लागू करें।