मोदी जी के 'सिंदूर' पर राहुल गांधी का सवालों का शंखनाद
Editor : Anjali Mishra | 23 May, 2025
राहुल बोले भाषण नहीं, जवाब दो मोदी जी

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बीकानेर में पीएम मोदी के गरमजोशी से भरे भाषण के बाद विपक्ष की तरफ से भी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। राहुल गांधी ने आतंकवाद, पाकिस्तान और ट्रंप जैसे अहम मुद्दों पर पीएम से सीधे जवाब मांगे हैं। क्या यह राजनीतिक टकराव आगामी चुनावी लड़ाई की दिशा बदलने वाला है?
मोदी जी, खोखले भाषण बंद कीजिए, देश से ग़द्दारी का जवाब दीजिए।23 मई 2025 लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें “खोखले भाषणों” की बजाय ठोस जवाब देने की नसीहत दी है। राहुल गांधी का यह प्रहार प्रधानमंत्री मोदी के बीकानेर में दिए गए एक भावनात्मक भाषण के बाद सामने आया है, जिसमें मोदी ने खुद को “मां भारती का सेवक” बताते हुए कहा था, “मोदी का दिमाग ठंडा है, लेकिन लहू गरम है अब नसों में गरम सिंदूर बह रहा है। लेकिन राहुल गांधी ने इस भाषण को राष्ट्र के सम्मान से जुड़ा मुद्दा बताते हुए प्रधानमंत्री से सीधे सवाल पूछ लिए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जारी एक पोस्ट में राहुल ने लिखा मोदी जी, खोखले भाषण देना बंद कीजिए। सिर्फ इतना बताइए कि-
आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया?
ट्रंप के सामने झुककर भारत के हितों की कुर्बानी क्यों दी?
आपका खून सिर्फ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है?
राहुल गांधी ने इस पोस्ट के साथ प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन का एक वीडियो क्लिप भी साझा किया, जिसमें पीएम मोदी यह कहते नजर आते हैं कि “डीजीएमओ स्तर पर पाकिस्तान ने भरोसा दिलाया कि उसकी ओर से कोई आतंकी गतिविधि नहीं होगी, और भारत ने उसकी बात पर विचार किया।” राहुल गांधी का आरोप है कि इसी कथन से साफ है कि भारत ने पाकिस्तान की बात पर भरोसा कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोका और यह सीधा-सीधा भारत के आत्म-सम्मान के साथ समझौता है।, राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों पर भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि “जब ट्रंप बार-बार भारत को अपमानित कर रहे हैं, तब प्रधानमंत्री करारा जवाब देने की बजाय क्यों चुप हैं? क्या राष्ट्रीय सम्मान से बड़ा कुछ और है?”
बीकानेर की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी भरे शब्दों में ललकारा था, लेकिन राहुल गांधी ने इस भाषण को “कैमरे के सामने का गरम खून” करार दिया है और पूछा है कि अगर खून गरम है तो पाकिस्तान को सैन्य जवाब देने से क्यों पीछे हटा गया?इस बयानबाज़ी के बाद राजनीतिक पारा चढ़ चुका है। एक ओर मोदी राष्ट्रवाद की भावनाओं को उभारने में लगे हैं, वहीं राहुल गांधी प्रधानमंत्री को जिम्मेदारियों की याद दिला रहे हैं। कांग्रेस अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ठंडे बस्ते में डाले जाने को चुनावी मुद्दा बना रही है और सीधे-सीधे मोदी सरकार की “झुकने की नीति” पर हमला कर रही है।राहुल गांधी के इस तीखे प्रहार ने आने वाले दिनों की सियासी सरगर्मी का ट्रेलर दिखा दिया है। एक तरफ प्रधानमंत्री भावनात्मक राष्ट्रवादी अपील के सहारे जनभावनाओं को साध रहे हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस उनसे जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रही है। राहुल गांधी का यह बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से एक गहरी चाल मानी जा रही है। उन्होंने जिस प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय संबंध और प्रधानमंत्री की कथित ‘भावनात्मक राजनीति’ को एक साथ निशाने पर लिया है, उससे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब सॉफ्ट टारगेट की बजाय सीधे प्रधानमंत्री की छवि पर वार कर रही है। यह एक संकेत भी है कि पार्टी 2025 के चुनावी रण में ‘राष्ट्रवाद बनाम जवाबदेही’ के नैरेटिव को तेज करना चाहती है।
कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोके जाने पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। एनसीपी, टीएमसी, डीएमके जैसे दलों ने कहा है कि सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तान को ‘क्लीन चिट’ देकर देश के लोगों को धोखा दिया है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री का बार-बार "सिंदूर" और "लहू" जैसे शब्दों का उपयोग एक भावनात्मक हथियार है, जबकि ज़मीन पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हो रही।अब तक पीएम मोदी या सरकार की ओर से राहुल गांधी के इन तीखे सवालों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सरकार के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन राहुल गांधी के वीडियो पोस्ट और बयानों ने यह तय कर दिया है कि इस मुद्दे पर चुप्पी लंबे समय तक टिकने वाली नहीं। यह संभव है कि प्रधानमंत्री अगले संबोधन या रैली में इस पर जवाब दें।
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के पोस्ट को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया बंटी हुई दिख रही है। कुछ लोग इसे एक साहसी सवाल बता रहे हैं जो प्रधानमंत्री से किया जाना चाहिए था, वहीं कुछ इसे राष्ट्र की भावनाओं पर चोट करार दे रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर #खूनगरमVSजवाबदेही’ जैसे ट्रेंड्स तेजी से फैल रहे हैं, जो इस बहस को और भी गहरा बना रहे हैं। राहुल गांधी का यह तीखा प्रहार चुनावी गणित को प्रभावित कर सकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत-पाक संवाद को लेकर जो सवाल खड़े हुए हैं, वह सरकार की कथित कूटनीतिक नीतियों की समीक्षा को मजबूर कर सकते हैं। अगर कांग्रेस इस मुद्दे को पूरे अभियान में ज़ोर-शोर से उठाती है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे पारंपरिक रूप से भाजपा के मजबूत विषय को चुनौती देने वाला एक दुर्लभ उदाहरण हो सकता है।
अब देखना ये है कि पीएम मोदी इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं। क्या एक और भावनात्मक भाषण, या फिर तथ्यों के साथ राहुल के सवालों का सीधा जवाब?इस बयानबाज़ी के बाद अब देश की निगाहें प्रधानमंत्री की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं क्या मोदी फिर भावनाओं से खेलेंगे या पहली बार सीधे तथ्यों की ज़ुबान बोलेंगे?