सपा के ट्वीट पर भड़के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, अखिलेश ने दी नसीहत
Editor : Shubham awasthi | 18 May, 2025
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से तीखी नोकझोंक और विवादों का दौर शुरू हो गया है। इस बार विवाद का केंद्र है समाजवादी पार्टी (सपा) के मीडिया सेल द्वारा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर की गई एक कथित अभद्र टिप्पणी

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आक्रोशित किया, बल्कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ब्रजेश पाठक के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तीखी जंग को भी जन्म दिया
विवाद की शुरुआत: सपा मीडिया सेल का ट्वीट
18 मई 2025 को, सपा मीडिया सेल के आधिकारिक एक्स अकाउंट से एक पोस्ट की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के डीएनए को लेकर एक विवादित और कथित रूप से अभद्र टिप्पणी की गई। इस ट्वीट ने तुरंत ही सियासी हलकों में हंगामा मचा दिया। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस टिप्पणी को न केवल व्यक्तिगत हमला करार दिया, बल्कि इसे सपा की "निम्न स्तर की राजनीति" का उदाहरण बताया। इस ट्वीट को बाद में सपा द्वारा हटा लिया गया, लेकिन तब तक यह मामला सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर वायरल हो चुका था।
लखनऊ में इस टिप्पणी के खिलाफ भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध दर्ज किया, और सपा मीडिया सेल के खिलाफ दो थानों में मुकदमा दर्ज किया गया। भाजपा जिला अध्यक्ष ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की, जबकि डिप्टी सीएम पाठक ने इस टिप्पणी को सपा की हताशा और नैतिक पतन का प्रतीक बताया
ब्रजेश पाठक की प्रतिक्रिया डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस विवाद को चुपचाप नहीं सहा। उन्होंने एक्स पर एक तीखा जवाब देते हुए सपा को आड़े हाथों लिया। पाठक ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि सपा के लोग "शिशुपाल" की तरह व्यवहार कर रहे हैं, और यदि वे नहीं सुधरे तो "शिशुपाल वाला हाल" होगा। यह बयान महाभारत के शिशुपाल और भगवान कृष्ण के प्रसंग की ओर इशारा करता है, जिसमें शिशुपाल का अंत श्रीकृष्ण के हाथों हुआ था।
इसके अलावा, पाठक ने एक प्रतीकात्मक कदम उठाते हुए अखिलेश यादव को समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया की किताबें पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सपा ने लोहिया के आदर्शों को भुला दिया है और अब केवल निम्न स्तर की टिप्पणियों तक सीमित हो गई है।
अखिलेश यादव की नसीहत: सियासी जवाब
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस विवाद में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए डिप्टी सीएम पाठक को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सपा "कृष्ण के वंशज" हैं और उनकी पार्टी नैतिकता और सिद्धांतों पर चलती है। अखिलेश ने पाठक की टिप्पणियों को "अति अशोभनीय" करार दिया और कहा कि भाजपा नेताओं को अपनी भाषा और व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए।
अखिलेश ने यह भी कहा कि सपा का ट्वीट उनकी पार्टी की आधिकारिक राय नहीं था और इसे हटा लिया गया है। हालांकि, उन्होंने इस मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया, जिसने भाजपा को और आक्रोशित किया। अखिलेश ने अपने समर्थकों को संयम बरतने की सलाह दी, लेकिन साथ ही भाजपा पर परिवारवाद और सांप्रदायिकता का आरोप लगाया, जिससे यह विवाद और गहरा गया।
यह विवाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े सियासी तूफान का प्रतीक बन गया है। 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले, सपा और भाजपा दोनों ही अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं। इस तरह के विवाद दोनों पार्टियों को अपने समर्थकों को एकजुट करने का अवसर देते हैं, लेकिन साथ ही यह आम जनता के बीच उनकी छवि को भी प्रभावित कर सकते हैं।
भाजपा ने इस मामले को सपा के "चरित्रहीन" व्यवहार के रूप में प्रचारित किया है, जबकि सपा इसे भाजपा की "अहंकारी" नीति का जवाब बता रही है। इस बीच, अन्य राजनीतिक दलों, जैसे कांग्रेस और बसपा, ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जो इस विवाद की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
सपा के ट्वीट से शुरू हुआ यह विवाद अब केवल एक सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं है। यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहरे वैचारिक और व्यक्तिगत टकराव का प्रतीक बन गया है। ब्रजेश पाठक की आक्रामक प्रतिक्रिया और अखिलेश यादव की नसीहत ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद कैसे शांत होता है, या फिर यह और गहराता है।