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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में सिविल डिफेंस मॉकड्रिल कराने का बड़ा फैसला

Editor : Anjali Mishra | 06 May, 2025

गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में नागरिक सुरक्षा (Civil Defence) मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया है।1971 के बाद पहली बार ऐसा बड़ा अभ्यास होने जा रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में सिविल डिफेंस मॉकड्रिल कराने का बड़ा फैसला

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क्या देश युद्ध की तैयारी कर रहा है?

जम्मू-कश्मीर के हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में सिविल डिफेंस मॉकड्रिल कराने का बड़ा फैसला लिया है। 1971 के बाद पहली बार इस स्तर की तैयारी की जा रही है। क्या ये आने वाले खतरे का संकेत है या एक सतर्क राष्ट्र की रणनीति?


भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध जैसे हालातों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद जहां सरहदों पर टकराव की आशंका तेज़ हुई है, वहीं इसके बीच गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में नागरिक सुरक्षा (Civil Defence) मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया है।1971 के बाद पहली बार ऐसा बड़ा अभ्यास होने जा रहा है।

सरकारी सूत्रों की मानें, तो यह मॉकड्रिल कोई सामान्य कवायद नहीं, बल्कि 1971 के युद्ध के बाद पहली बार इस स्तर पर देशभर में नागरिक सुरक्षा का अभ्यास होगा। उस साल भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ा था और बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। अब, 53 साल बाद दोबारा वही आपातकालीन तैयारी। ये बताने के लिए काफी है कि हालात कितने गंभीर हैं।


क्यों हो रही है मॉकड्रिल?



इस ड्रिल का मकसद है नागरिकों को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा उपायों के प्रति सतर्क बनाना। भारत-पाक सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ रही है और कूटनीतिक तल्ख़ी भी नई ऊंचाई पर है। ऐसे में युद्ध जैसी स्थिति से पहले ही नागरिकों को सुरक्षित करने की दिशा में यह अहम कदम माना जा रहा है।


क्या-क्या होगा मॉकड्रिल अभ्यास में?


7 मई को होने वाली मॉकड्रिल में कई अहम पहलुओं पर फोकस किया जाएगा।जैसे हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरनों का संचालन, नागरिकों को बचाव उपायों की जानकारी, स्कूलों और संस्थानों में प्रशिक्षण, और सुरक्षित स्थानों तक लोगों की निकासी का पूर्वाभ्यास।

गृह मंत्रालय चाहता है कि सिर्फ सुरक्षाबल ही नहीं, आम नागरिक भी आपातकालीन स्थिति में एक फ्रंटलाइन योद्धा की भूमिका निभाएं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सबको बताया जाएगा कि हमले के वक्त क्या करें, कहां जाएं और कैसे खुद को सुरक्षित रखें।

सरकार का फोकस सिर्फ आम जनता नहीं, बल्कि देश के संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर भी है। मॉकड्रिल में सरकारी भवनों, पावर प्लांट्स, संचार केंद्रों आदि को संभावित हमलों से बचाने की योजना का अभ्यास भी किया जाएगा।


आपातकालीन स्थिति में भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों पर नागरिकों को पहुंचाने के लिए बनाई गई निकासी योजना (Evacuation Plan) का भी रियल टाइम परीक्षण होगा। इसके जरिए प्रशासन यह देखेगा कि किस तरह कम समय में ज्यादा लोगों को सुरक्षित हटाया जा सकता है।

गृह मंत्रालय का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि नागरिक स्तर पर भी पूरी तैयारी कर रही है। यह मॉकड्रिल देश को यह एहसास दिलाने का प्रयास है कि शांति की चाह हो सकती है, लेकिन सुरक्षा में कोई ढिलाई नहीं होगी।


सिविल डिफेंस मॉकड्रिल के तहत विशेष रूप से स्कूल और कॉलेजों को शामिल किया जा रहा है। छात्रों को न केवल आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जाएगी, बल्कि उन्हें छोटे-छोटे सुरक्षा अभ्यासों के जरिए यह सिखाया जाएगा कि आपातकाल में कैसे संयम बनाए रखें और दूसरों की मदद करें।

हर राज्य और जिले में स्थानीय प्रशासन को इस ड्रिल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिलाधिकारी, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम जैसी संस्थाएं मिलकर मॉकड्रिल को जमीन पर उतारेंगी। यह भी एक टेस्ट होगा कि प्रशासन जमीनी स्तर पर कितनी तत्परता से काम करता है।

हर राज्य और जिले में स्थानीय प्रशासन को इस ड्रिल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिलाधिकारी, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम जैसी संस्थाएं मिलकर मॉकड्रिल को जमीन पर उतारेंगी। यह भी एक टेस्ट होगा कि प्रशासन जमीनी स्तर पर कितनी तत्परता से काम करता है।


सरकार ने मीडिया संस्थानों को भी इस अभ्यास से जुड़ी जानकारी को सही ढंग से प्रसारित करने की सलाह दी है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ड्रिल के दौरान फैलाई गई कोई भी सूचना नागरिकों में दहशत न फैलाए, बल्कि उन्हें जागरूक और तैयार बनाए।

पंजाब, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्यों में विशेष अभ्यास किए जाएंगे। इन इलाकों में ड्रोन, सीसीटीवी और रियल टाइम मॉनिटरिंग से ड्रिल की निगरानी होगी। यहां की रणनीतिक लोकेशन को देखते हुए अतिरिक्त बल और संसाधन भी तैनात किए जा सकते हैं।गृह मंत्रालय ने देशवासियों से अपील की है कि वे इस ड्रिल को गंभीरता से लें और सक्रिय भागीदारी करें। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए अहम है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक ज़रूरी प्रशिक्षण है। सभी से आग्रह किया गया है कि वे अफवाहों से बचें और प्रशासन का सहयोग करें।


क्यों है ये फैसला अहम?

मौजूदा हालात में जब भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है, और सरहदों पर फौजें अलर्ट पर हैं, तब ये मॉकड्रिल न सिर्फ सरकार की रणनीतिक तैयारी दिखाता है, बल्कि आम नागरिकों को भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार करता है।


सिविल डिफेंस मॉकड्रिल्स सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के कई देशों में समय-समय पर आयोजित की जाती रही हैं, खासतौर पर जब किसी देश को युद्ध, आतंकी खतरे या प्राकृतिक आपदा की आशंका होती है।


इज़राइल, जो लगातार सुरक्षा खतरों से घिरा रहता है, हर साल “Home Front Command” के तहत हर साल देशव्यापी मॉकड्रिल करता है। इसमें सायरन बजाकर नागरिकों को बंकरों में जाने की ट्रेनिंग दी जाती है। स्कूल, दफ्तर, और सार्वजनिक जगहों पर रिहर्सल होती है ताकि मिसाइल या हवाई हमले की स्थिति में लोग तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें।


जापान में भूकंप और परमाणु हमले की मॉकड्रिल मार्च 2011 के बाद नियमित अंतराल पर फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना और बड़े भूकंपों के बाद जापान ने भूकंप, सुनामी और परमाणु आपदा के लिए मॉकड्रिल्स अनिवार्य कर दीं। नागरिकों को बताया जाता है कि रेडिएशन से कैसे बचें, और बच्चों को स्कूलों में हर महीने सुरक्षा रिहर्सल कराई जाती है।


 उत्तर कोरिया से संभावित युद्ध के खतरे को देखते हुए दक्षिण कोरिया अमेरिका के साथ मिलकर हर साल “Ulchi Freedom Guardian” नाम से सैन्य और सिविल मॉकड्रिल करता है। इसमें आम नागरिकों को भी शामिल किया जाता है ताकि युद्ध की स्थिति में सुरक्षित निकासी और कम्युनिकेशन सिस्टम का अभ्यास हो।


अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद Homeland Security और FEMA द्वारा बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले, जैविक हथियार या प्राकृतिक आपदाओं की मॉकड्रिल की जाती है। इसमें न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस जैसे शहरों में हजारों वॉलंटियर हिस्सा लेते हैं।


रूस ने पूरे देश में 40 मिलियन नागरिकों और 2 लाख से ज्यादा पेशेवरों के साथ नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया था। इसका मकसद था। किसी परमाणु या सैन्य हमले की स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना और मेडिकल सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण करना।


यह मॉक ड्रिल किसी डर या दहशत का कारण नहीं है, बल्कि यह एक सकारात्मक कदम है।आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखने की तैयारी का हिस्सा। जैसे स्कूलों में फायर ड्रिल होती है, वैसे ही यह भी एक ट्रायल है ताकि असली खतरे की स्थिति में आप घबराएं नहीं, बल्कि सही कदम उठाएं। इस अभ्यास में हिस्सा लेकर आप न केवल खुद को सुरक्षित कर रहे हैं, बल्कि देश की सामूहिक सुरक्षा में भी योगदान दे रहे हैं। इसलिए सायरन बजे तो सतर्क हों, डरें नहीं। मॉक ड्रिल है, हकीकत नहीं। तैयार रहें, जागरूक रहें और सहयोग करे।यही आज की सबसे बड़ी देशभक्ति है।

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