पटना मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल में मनीष कश्यप के साथ मारपीट.
Editor : Shubham awasthi | 20 May, 2025
पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल (PMCH), बिहार का एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान, हाल ही में एक विवादास्पद घटना के कारण सुर्खियों में आया है। इस घटना में यूट्यूबर और बीजेपी नेता मनीष कश्यप के साथ कथित तौर पर जूनियर डॉक्टरों द्वारा मारपीट की गई और उन्हें अधीक्षक के कार्यालय में बंधक बनाए रखने का आरोप लगा है।

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यह घटना सोमवार को हुई, जब मनीष कश्यप एक मरीज की पैरवी करने PMCH पहुँचे थे। दोनों पक्षों—मनीष कश्यप और उनके समर्थकों, साथ ही अस्पताल प्रशासन और जूनियर डॉक्टरों—ने अपने-अपने दावे पेश किए हैं, जिसके बाद यह मामला कानूनी रूप ले चुका है और पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है।
इस घटना के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, मनीष कश्यप का अस्पताल में अव्यवस्थाओं को उजागर करने का प्रयास उनके और जूनियर डॉक्टरों के बीच तनाव का कारण बना। बिहार के सरकारी अस्पताल, विशेष रूप से PMCH, लंबे समय से अव्यवस्था, संसाधनों की कमी, और कर्मचारियों की अधिक कार्यभार की शिकायतों का सामना करते रहे हैं। मनीष कश्यप जैसे व्यक्ति, जो सार्वजनिक मंचों पर इन मुद्दों को उठाते हैं, अक्सर अस्पताल प्रशासन और कर्मचारियों के निशाने पर आ जाते हैं।
दूसरा, इस घटना में व्यक्तिगत और पेशेवर टकराव की भूमिका भी हो सकती है। कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि मनीष कश्यप ने एक महिला नर्स के साथ बत्तमीजी की, जिसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने उनके साथ मारपीट की। यह भी संभव है कि मनीष कश्यप के वीडियो बनाने के प्रयास को डॉक्टरों ने अपनी निजता या पेशेवर स्वायत्तता पर हमला माना हो।
तीसरा, मनीष कश्यप की राजनीतिक पृष्ठभूमि और उनकी बीजेपी से संबद्धता ने इस घटना को और जटिल बना दिया। उनके समर्थकों का मानना है कि यह घटना एक सुनियोजित हमला था, जिसका उद्देश्य उनकी आवाज को दबाना था। दूसरी ओर, उनके विरोधी इसे उनकी सनसनीखेज कार्यशैली का परिणाम मानते हैं।
इस घटना ने कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर व्यापक प्रभाव डाला है। सबसे पहले, दोनों पक्षों ने पुलिस में शिकायत दर्ज की है। मनीष कश्यप के समर्थकों का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों ने उनके खिलाफ झूठी FIR दर्ज कराई, ताकि अपनी गलती को छिपाया जा सके। वहीं, अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने मनीष कश्यप पर हंगामा करने और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। यह मामला अब पुलिस और अदालत के दायरे में है, और जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
सामाजिक दृष्टिकोण से, इस घटना ने बिहार के स्वास्थ्य ढांचे और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मनीष कश्यप जैसे यूट्यूबर्स और सामाजिक कार्यकर्ता अक्सर सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करते हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली कभी-कभी टकराव को जन्म देती है। इस घटना ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर इस तरह की गतिविधियाँ उचित हैं।
अस्पताल प्रशासन और जूनियर डॉक्टरों की स्थिति
PMCH जैसे सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों का कार्यभार अत्यधिक होता है। वे लंबे समय तक काम करते हैं, और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों और उनके परिजनों के गुस्से का सामना करना पड़ता है। इस घटना में, जूनियर डॉक्टरों ने मनीष कश्यप पर हंगामा करने और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मनीष कश्यप ने अस्पताल के नियमों का उल्लंघन किया और उनकी कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप किया।
हालांकि, मनीष कश्यप के समर्थकों का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों ने हिंसा का सहारा लिया, जो एक चिकित्सा पेशेवर के लिए अनुचित है। यह भी सवाल उठता है कि यदि मनीष कश्यप ने कोई गलती की थी, तो क्या उसे कानूनी तरीके से संबोधित करना बेहतर नहीं होता, बजाय शारीरिक हिंसा या बंधक बनाने के।
मनीष कश्यप के समर्थकों का कहना है कि वह एक गरीब मरीज की मदद करने की कोशिश कर रहे थे, और अस्पताल की अव्यवस्थाओं को उजागर करने का प्रयास कर रहे थे। उनके अनुसार, मनीष कश्यप को जानबूझकर निशाना बनाया गया ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि मनीष को तीन घंटे तक कमरे में बंद रखा गया और उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई।
मनीष कश्यप ने स्वयं इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें साझा कीं, जिसमें उनके चेहरे पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे। उन्होंने अपने समर्थकों से प्रार्थना करने की अपील भी की। यह घटना उनके समर्थकों के बीच गुस्से का कारण बना है फिलहाल मनीष कश्यप का इलाज हॉस्पिटल में चल रहा हैं।