अखिलेश यादव और साक्षी महाराज के बीच बयानबाजी: उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़
Editor : Shubham awasthi | 11 May, 2025
उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से ही अपने तीखे बयानों, व्यक्तिगत टिप्पणियों और सियासी पलटवारों के लिए जानी जाती रही है। हाल ही में, समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता व उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज के बीच हुई बयानबाजी ने एक बार फिर सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से ही अपने तीखे बयानों, व्यक्तिगत टिप्पणियों और सियासी पलटवारों के लिए जानी जाती रही है। हाल ही में, समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता व उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज के बीच हुई बयानबाजी ने एक बार फिर सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है। अखिलेश यादव ने दावा किया कि वह जिस दिन चाहेंगे, साक्षी महाराज सपा में शामिल हो जाएंगे, तो वहीं साक्षी महाराज ने पलटवार करते हुए कहा कि वह जब चाहेंगे, अखिलेश और उनका पूरा परिवार भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो सकता है। इस बयानबाजी ने न केवल दोनों नेताओं के बीच की तल्खी को उजागर किया, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति जनगणना, परिवारवाद और सियासी वफादारी जैसे मुद्दों को भी फिर से चर्चा में ला दिया। इस लेख में हम इस पूरे प्रकरण का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, इसके सियासी निहितार्थों को समझेंगे और यह देखेंगे कि यह बयानबाजी उत्तर प्रदेश की राजनीति को कैसे प्रभावित कर सकती है।
बयानबाजी की शुरुआत: अखिलेश का दावा
5 मई, 2025 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने साक्षी महाराज पर तंज कसते हुए कहा, “साक्षी महाराज को जिस दिन चाहेंगे, सपा में शामिल कर लेंगे। वह पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का अहम हिस्सा हैं।” यह बयान साक्षी महाराज की एक टिप्पणी के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने अखिलेश पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा था कि “अगर अखिलेश के दिमाग में गोबर भरा है, तो इसका इलाज मेरे पास नहीं है।” साक्षी महाराज का यह बयान अखिलेश यादव द्वारा केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार किए जा रहे हमलों के जवाब में था।
अखिलेश का यह दावा न केवल साक्षी महाराज को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि सपा की राजनीतिक ताकत इतनी है कि वह भाजपा के बड़े नेताओं को भी अपनी पार्टी में शामिल करा सकती है। अखिलेश ने यह भी कहा कि साक्षी महाराज ने ही केंद्र सरकार को जाति जनगणना कराने के लिए मजबूर किया है, जिसे वह सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) एजेंडे की जीत मानते हैं। इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, क्योंकि यह पहली बार नहीं था जब अखिलेश ने साक्षी महाराज जैसे भाजपा नेता को निशाने पर लिया हो।
साक्षी महाराज का पलटवार
अखिलेश के इस बयान का जवाब देने में साक्षी महाराज ने देर नहीं की। 10 मई, 2025 को उन्नाव में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान साक्षी महाराज ने बड़ा दावा करते हुए कहा, “जिस दिन मैं चाहूंगा, अखिलेश यादव और उनका पूरा परिवार भाजपा में शामिल हो जाएगा। अगर वे भाजपा में नहीं आए, तो एनडीए के साथ जरूर जुड़ जाएंगे।” साक्षी महाराज ने यह भी दावा किया कि अखिलेश के परिवार से उनका गहरा नाता है और वह खुद को उनके परिवार का मुखिया मानते हैं। उन्होंने कहा, “अखिलेश का परिवार मेरा बड़ा सम्मान करता है।”
साक्षी महाराज ने अपने बयान में जाति जनगणना के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि वह स्वयं ओबीसी समाज से आते हैं और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से जाति जनगणना के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी के दबाव में नहीं आते, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी भूमिका को रेखांकित किया। साक्षी महाराज का यह बयान न केवल अखिलेश के दावे का जवाब था, बल्कि यह भी संदेश देता था कि भाजपा की ताकत इतनी है कि वह सपा के शीर्ष नेतृत्व को भी अपने साथ जोड़ सकती है।